Skip to content

lawkahtahainsider.com

subject law hindi

MUSLIM Will RULES

Posted on January 15, 2025January 25, 2025 By soni.vidya22@gmail.com No Comments on MUSLIM Will RULES

मुस्लिम विधि में वसीयत (Will) को “वसियत” कहा जाता है। यह एक कानूनी दस्तावेज या घोषणा है, जिसके माध्यम से कोई व्यक्ति अपनी संपत्ति या अधिकारों को अपनी मृत्यु के बाद किसी अन्य व्यक्ति या संस्था को स्थानांतरित करने की इच्छा प्रकट करता है। यह प्रक्रिया हिबा (दान) से अलग होती है, क्योंकि वसीयत का प्रभाव मृत्यु के बाद ही होता है।

मुस्लिम विधि में वसीयत की परिभाषा

मुस्लिम विधि के अनुसार, वसीयत वह कानूनी प्रावधान है जिसके तहत एक व्यक्ति (वसीयतकर्ता) अपनी संपत्ति का कुछ हिस्सा, अपनी मृत्यु के बाद किसी उत्तराधिकारी या गैर-उत्तराधिकारी को देने की इच्छा व्यक्त करता है।

—

वसीयत के कानूनी उपबंध (Legal Provisions)

मुस्लिम विधि के अंतर्गत वसीयत से संबंधित कुछ मुख्य नियम और शर्तें निम्नलिखित हैं:

1. संपत्ति का सीमा निर्धारण (Limit of Property)

वसीयतकर्ता अपनी संपत्ति का केवल 1/3 (एक-तिहाई) हिस्सा वसीयत कर सकता है।

बाकी संपत्ति उत्तराधिकारियों में शरीयत के अनुसार बाँटी जाती है।

उत्तराधिकारी को वसीयत का हिस्सा तभी मिल सकता है जब अन्य उत्तराधिकारी उसकी सहमति दें।

2. वसीयत करने की क्षमता (Competence to Make a Will)

वसीयतकर्ता का बुद्धि संपन्न होना आवश्यक है।

वसीयतकर्ता को बालिग (18 वर्ष का या उससे अधिक) होना चाहिए।

वसीयतकर्ता को अपनी संपत्ति पर वैध अधिकार होना चाहिए।

3. स्वतंत्र इच्छा (Free Consent)

वसीयतकर्ता को वसीयत करते समय स्वतंत्र होना चाहिए।

किसी दबाव, धोखाधड़ी, या गलत प्रभाव में वसीयत मान्य नहीं होगी।

4. वसीयत का उद्देश्य (Object of the Will)

वसीयत का उद्देश्य इस्लामिक कानून और नैतिकता के अनुसार होना चाहिए।

किसी अवैध, अनैतिक, या गैर-कानूनी उद्देश्य के लिए वसीयत अमान्य मानी जाएगी।

5. गवाहों की उपस्थिति (Witnesses)

वसीयत को गवाहों की उपस्थिति में किया जाना चाहिए।

गवाह ईमानदार और वयस्क होने चाहिए।

6. उत्तराधिकारी को वसीयत (Will to Heirs)

मुस्लिम विधि में वसीयत उत्तराधिकारियों के लिए नहीं की जाती, जब तक कि अन्य उत्तराधिकारी सहमत न हों।

—

वसीयत के प्रकार

1. मौखिक वसीयत (Oral Will)

यह तब होती है जब वसीयतकर्ता मौखिक रूप से गवाहों के समक्ष अपनी संपत्ति की वसीयत करता है।

इसे प्रमाणित करना कठिन हो सकता है।

2. लिखित वसीयत (Written Will)

यह लिखित दस्तावेज के रूप में होती है, जिसमें गवाहों के हस्ताक्षर शामिल होते हैं।

इसे कानूनी मान्यता देना आसान होता है।

—

मुस्लिम वसीयत की वैधता को प्रभावित करने वाले कारक

1. उत्तराधिकार कानून के खिलाफ वसीयत।

2. अन्य उत्तराधिकारियों की सहमति के बिना उत्तराधिकारी को अधिक हिस्सा देना।

3. वसीयतकर्ता की मृत्यु से पहले वसीयत रद्द करना।

—

महत्वपूर्ण न्यायिक व्याख्याएँ

मुस्लिम वसीयत से संबंधित मामलों में भारतीय न्यायालय और शरीयत कानूनों के तहत न्यायिक व्याख्याएँ भी लागू होती हैं। भारतीय कानून (मुस्लिम पर्सनल लॉ) वसीयत से जुड़े मामलों में शरीयत कानून का पालन करता है।

यदि कोई विशेष स्थिति हो, तो वकील की सलाह लेना उपयोगी हो सकता है।

मुस्लिम विधि में वसीयत (Will) से जुड़े कई महत्वपूर्ण न्यायिक निर्णय हुए हैं, जो इसके विभिन्न पहलुओं को स्पष्ट करते हैं। ये केस मुख्य रूप से वसीयत की वैधता, सीमा, और अधिकारों से संबंधित हैं। यहां कुछ प्रमुख केस और उनके फैसले दिए गए हैं:

—

1. इमाम साहब बनाम हुसैन साहब (Imam Sahib v. Hussain Sahib)

मामला:

इस केस में वसीयतकर्ता ने अपनी पूरी संपत्ति वसीयत के माध्यम से गैर-उत्तराधिकारी को दे दी थी।

फैसला:

कोर्ट ने यह कहा कि मुस्लिम विधि के अनुसार, वसीयतकर्ता अपनी संपत्ति का केवल 1/3 (एक-तिहाई) हिस्सा ही वसीयत कर सकता है।

शेष 2/3 हिस्से पर उत्तराधिकार कानून के अनुसार उत्तराधिकारियों का अधिकार रहेगा।

अगर उत्तराधिकारी वसीयत के लिए सहमति देते हैं, तो पूरी संपत्ति दी जा सकती है।

—

2. मुस्तफा साहब बनाम अमीना बाई (Mustafa Sahib v. Amina Bai)

मामला:

वसीयतकर्ता ने मौखिक रूप से वसीयत की थी, लेकिन कोई लिखित दस्तावेज नहीं था।

फैसला:

मौखिक वसीयत वैध मानी गई क्योंकि गवाहों ने इसे प्रमाणित किया था।

हालांकि, कोर्ट ने कहा कि लिखित वसीयत अधिक प्रमाणिक होती है और विवादों से बचाने में मदद करती है।

—

3. गुलाम मोहम्मद बनाम गुलाम अहमद (Gulam Mohammed v. Gulam Ahmad)

मामला:

इस केस में वसीयतकर्ता ने अपनी संपत्ति का पूरा हिस्सा अपने बेटे को वसीयत कर दिया था, जबकि अन्य उत्तराधिकारियों को संपत्ति से वंचित कर दिया गया।

फैसला:

कोर्ट ने वसीयत को आंशिक रूप से अवैध माना, क्योंकि अन्य उत्तराधिकारियों की सहमति नहीं थी।

केवल 1/3 हिस्सा बेटे को दिया गया और शेष संपत्ति शरीयत के अनुसार वितरित की गई।

—

4. अब्दुल्ला बनाम रहमतुल्ला (Abdullah v. Rahmatullah)

मामला:

वसीयतकर्ता ने वसीयत करने के बाद उसे मौखिक रूप से रद्द कर दिया था, लेकिन इसका लिखित प्रमाण नहीं था।

फैसला:

कोर्ट ने स्वीकार किया कि वसीयतकर्ता को वसीयत को रद्द करने का अधिकार है, भले ही यह मौखिक हो।

गवाहों की गवाही के आधार पर वसीयत रद्द मानी गई।

—

5. अहमद हुसैन बनाम फैजुन्निसा (Ahmad Hussain v. Faizunnisa)

मामला:

इस केस में वसीयतकर्ता ने वसीयत में कुछ संपत्ति दान करने का उल्लेख किया था, लेकिन इसका उद्देश्य अवैध था।

फैसला:

कोर्ट ने वसीयत को अमान्य करार दिया क्योंकि इसका उद्देश्य शरीयत कानून और नैतिकता के खिलाफ था।

मुस्लिम विधि में केवल वैध और नैतिक उद्देश्यों के लिए वसीयत मान्य होती है।

—

6. नसीरुद्दीन बनाम सईदा खातून (Nasiruddin v. Saeeda Khatoon)

मामला:

वसीयतकर्ता ने वसीयत के माध्यम से एक गैर-मुस्लिम को संपत्ति देने का उल्लेख किया था।

फैसला:

कोर्ट ने वसीयत को मान्य माना, क्योंकि शरीयत के अनुसार, एक गैर-मुस्लिम को वसीयत के माध्यम से संपत्ति दी जा सकती है।

वसीयत की सीमा (1/3 हिस्सा) का पालन करना अनिवार्य है।

—

सारांश

मुस्लिम विधि में वसीयत से जुड़े केस यह स्पष्ट करते हैं कि:

1. वसीयत में शरीयत कानून का पालन अनिवार्य है।

2. वसीयतकर्ता अपनी संपत्ति का केवल 1/3 हिस्सा वसीयत कर सकता है।

3. वसीयत वैध तभी मानी जाएगी जब यह स्वतंत्र इच्छा और नैतिक उद्देश्यों के साथ की गई हो।

4. गवाहों की भूमिका और सहमति वसीयत की वैधता में महत्वपूर्ण होती है।

यदि किसी केस या स्थिति में अधिक जानकारी चाहिए, तो पेशेवर कानूनी सलाह लेना लाभकारी हो सकता है।

Uncategorized

Post navigation

Previous Post: मुस्लिम LEGITIMACY AND parentageमुस्लिम समाज में लेजिटमेसी (वैधता) और पेरेंटेज (माता-पिता से संबंध)
Next Post: मुस्लिम वसीयत (Will)और हिबा (Gift)

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Copyright © 2025 lawkahtahainsider.com.

Powered by PressBook WordPress theme