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Malicious prosecution in torts

दुर्भावनापूर्ण अभियोजन (Malicious Prosecution) एक महत्वपूर्ण टॉर्ट (नागरिक अपकृत्य) है, जिसमें किसी व्यक्ति पर दुर्भावनापूर्ण इरादे से झूठा और अनुचित अभियोजन किया जाता है। यह उस स्थिति पर लागू होता है जहां कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग किया जाता है, जिससे किसी निर्दोष व्यक्ति को नुकसान या अपमान का सामना करना पड़ता है।

 

दुर्भावनापूर्ण अभियोजन Malicious Prosecution का अर्थ

दुर्भावनापूर्ण अभियोजन का मतलब है कि किसी व्यक्ति के खिलाफ झूठे आरोप लगाकर जानबूझकर उसे आपराधिक, दीवानी या अन्य कानूनी मामलों में घसीटा जाता है। यह एक ऐसा कार्य है जो न्याय प्रक्रिया के दुरुपयोग के समान होता है।

दुर्भावनापूर्ण अभियोजन Malicious Prosecution के आवश्यक तत्व

 

दुर्भावनापूर्ण अभियोजन साबित करने के लिए निम्नलिखित तत्वों को सिद्ध करना आवश्यक है:

 

  1. अभियोजन का आरंभ (Initiation of Prosecution):

अभियोजन अभियुक्त के खिलाफ शुरू किया गया हो। अभियोजन का मतलब है कानूनी कार्रवाई का आरंभ, जिसमें पुलिस शिकायत या आपराधिक मामला दायर करना शामिल है।

  1. अभियोजन अभियुक्त के पक्ष में समाप्त होना (Termination in Favor of Defendant):

अभियोजन का परिणाम अभियुक्त के पक्ष में आया हो, यानी उसे निर्दोष घोषित किया गया हो।

 

  1. उचित कारण का अभाव (Absence of Reasonable Cause):

अभियोजन के लिए कोई उचित या तार्किक आधार नहीं होना चाहिए। अभियोजन दुर्भावनापूर्ण और असत्य हो।

 

  1. दुर्भावनापूर्ण इरादा (Malicious Intention):

अभियोजन दुर्भावनापूर्ण इरादे से प्रेरित होना चाहिए। अभियोजनकर्ता का उद्देश्य आरोपी को नुकसान पहुंचाना हो।

 

  1. नुकसान का होना (Damage):

अभियोजन के कारण अभियुक्त को मानसिक, शारीरिक, आर्थिक या प्रतिष्ठा की हानि हुई हो।

महत्वपूर्ण केस कानून
  1. West Bengal State Electricity Board v. Dilip Kumar Ray

इस केस में कोर्ट ने कहा कि अभियोजन का उद्देश्य न्याय करना होना चाहिए, न कि किसी को हानि पहुंचाना। यदि दुर्भावनापूर्ण अभियोजन साबित होता है, तो मुआवजा दिया जाएगा।

  1. Mohd. Amin v. Jogendra Kumar Bannerjee (1947)

यह मामला दुर्भावनापूर्ण अभियोजन की परिभाषा और उसके तत्वों को स्पष्ट करने में महत्वपूर्ण है। इसमें कोर्ट ने कहा कि अभियोजन का उद्देश्य केवल दुर्भावना के तहत नहीं होना चाहिए।

  1. Gaya Prasad v. Bhagat Singh (1908)

इस केस में हाईकोर्ट ने कहा कि दुर्भावनापूर्ण अभियोजन तभी साबित होता है जब अभियोजनकर्ता के पास पर्याप्त कारण न हो और वह केवल झूठे इरादे से मामला दायर करे।

  1. Ravinder Singh v. Sukhbir Singh (2013)

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कहा कि दुर्भावनापूर्ण अभियोजन साबित करने के लिए अभियुक्त को यह दिखाना होगा कि अभियोजनकर्ता ने जानबूझकर और दुर्भावना से प्रेरित होकर झूठा मामला दायर किया था।

  1. V.P. Shrivastava v. Indian Explosives Ltd.

इस केस में दुर्भावनापूर्ण अभियोजन के लिए आवश्यक तत्वों को फिर से दोहराया गया और कहा गया कि अभियोजनकर्ता पर इसका पूरा भार है कि वह उचित कारण से मामला दायर कर रहा है।

 

नुकसान के प्रकार (Types of Damages)
  1. मानसिक हानि: मानसिक तनाव, अपमान और मानसिक यातना।
  2. आर्थिक हानि: कानूनी खर्च और आर्थिक नुकसान।
  3. सामाजिक प्रतिष्ठा की हानि: अभियुक्त की समाज में छवि खराब होना।

मुआवजा (Compensation)

यदि दुर्भावनापूर्ण अभियोजन साबित होता है, तो पीड़ित को हानि की भरपाई के लिए मुआवजा दिया जाता है। मुआवजा मानसिक, आर्थिक और सामाजिक नुकसान को कवर करता है।

यदि आपको किसी विशेष केस या अन्य बिंदु पर विस्तार चाहिए, तो बताएं!

 

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