विधायिका का आशय क्या है
परिचय,,, प्रजातंत्र में जनता का शासन स्वयं के शासन के अनुरूप स्वीकृत होता है और जनता अपने द्वारा चुनाव हुए लोगों द्वारा बनाए गए कानून से शासित होना चाहती है
- निर्वचन का मुख्य केंद्र बिंदु विधायिका का आशय ही होता है
- विधानमंडल विधायिका के आशय को सविधियों के माध्यम से व्यक्त करता है
- शक्तियों का पृथक्करण का सिद्धांत के तहत विधायिका जहां कानून बनाती है वही कोर्ट का मुख्य कार्य विधायिका के आशय स को प्रभावी बनाना ही होता है। यह संस्थागत सम्मान भी कोर्ट का होता है
- जनता की अभिव्यक्ति को पूरा करना प्रोफेसर कीटन के अनुसार विधायक तीन अर्थों में खोजा जाता है १ विधान शब्दों में अभिव्यक्त आशय २ न्यायालय द्वारा अध्यारोपित आशय ३ समृद्धि के उद्देश्य एवं प्रयोजन को ध्यान में रखकर न्यायालय द्वारा संविधि में प्रयुक्त शब्दों का आशय
केस अध्यक्ष बोर्ड आफ माइनिंग
जस्टिस कृष्णा अय्यर ने अनुसार केवल शाब्दिक अर्थ लगाना केवल शरीर के त्वचा को देखना होगा और उसके भीतर आत्मा को देखना हो तो अर्थनवायन में की न्यायिक चाबी यह यह है कि देह और दही दोनों को देखना चाहिए।
विधायक से निकलने के लिए विधि शास्त्रियों और न्यायाधीशों ने मार्गदर्शक सिद्धांत दिए हैं
१ अधिनियम को संपूर्ण रूप से पढ़ा जाना चाहिए
एक्ट के उद्देश्य के प्रकाश में सविधि के प्रत्येक शब्द अर्थ वाक्यांश विचार किया जाना चाहिए क्योंकि सविधि कोई शब्द निरर्थक नहीं हो
इससे दोहरा लाभ यह होता है कि प्रथम विधायिका का आशय स्पष्ट होता है द्वितीय सविधि के संभावित विरोधाभास भी दूर हो जाता है
२ निर्वचन अमान्य से मान्य करना अधिक अच्छा है
कैसे sr बोम्मई के मामले में
३सजातियता
४ सहचारेंन ज्ञायते
५ सकारण लोप