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doctrine of separation of power and administrative law शक्ति पृथक्करण का सिद्धांत और प्रशासनिक विधि

Posted on September 17, 2024September 17, 2024 By soni.vidya22@gmail.com No Comments on doctrine of separation of power and administrative law शक्ति पृथक्करण का सिद्धांत और प्रशासनिक विधि

यदि हम मंटीस्क्यू के शक्ति पृथक्करण के सिद्धांत की विवेचना करें तो निश्चित रूप से उसमें और एडमिनिस्ट्रेटिव लॉ के बीच में दंड प्रतीत होगा क्योंकि यहां एक तरफ मोंटेंस्क्वायूज के सिपरेशन आप और के अंतर्गत एक अंग कोशिश दो अंगों के कार्य व शक्तियों में प्रयोग करने की मनाई की गई है वह एडमिनिस्ट्रेटिव लॉ के अंतर्गत प्रत्यायोजन विधान की प्रणाली में कार्यपालिका प्रत्यय आयोजित विदाई शक्ति का प्रयोग करती है इस प्रकार एडमिनिस्ट्रेटिव लाकर इंक्लूड आदिला की अवधारणा में कार्यपालिका निर्णय का भी कोई कार्य करती है जो मंटेंस्कवॉयू के सिपरेशन आफ पावर के प्रतिकूल है इस प्रकार हम देखते हैं कि मोंटक्वियों के शक्ति पृथक्करण सिद्धांत और प्रिंसिपल ऑफ आदला के बीच दंड है और इसी के कारण उस में प्रशासनिक विधि का विकास उतनी तीव्रता से नहीं हुआ है जितनी तीव्रता से होना चाहिए अब प्रश्न यह होता है कि 

इस द्वंद  के किस प्रकार दूर किया जाए शक्ति पृथक्करण के सिद्धांत के आधुनिक सिद्धांत का अवलोकन किया जाए तो तो तो उसमें वह आदला के सिद्धांतों के बीच कोई द्वंद प्रतीत नहीं होगा कारण यह है की शक्ति पृथक्करण के सिद्धांत आधुनिक अवधारणा की इस बात की कोई मन ही नहीं करता है कि एक अंग से दो अंगों के कार्यों में शक्तियों का प्रयोग ना करें अपेक्षा इतना ही करता है कि शेष दो अंग इस प्रकार शक्ति का प्रयोग करने वाले अंग को अवरोध को संतुलित करते रहे अब हमें यह देखना होगा कि क्या चेक एंड बैलेंस प्रत्यय विवेक विधान एडमिनिस्ट्रेटिव जस्टिस की दशा में विद्यमान है

यदि प्रत्यय युद्ध विहान की बात की जाए तो इसके अंतर्गत कटी पर अपरिहार्य कर्म से विधायिका अपनी विदाई शक्ति को कार्यपालिका को प्रतियोगित कर देती है परंतु प्रत्यायोजन करते समय विधायक का उसे सीमा रेखा को खींच देता है जिसका उल्लंघन कार्यपालिका नहीं कर सकती इस प्रकार विधायक का कार्यपालिका को अवरोधित करती है यदि कार्यपालिका विधायिका द्वारा निर्धारित सीमा का आती लंघन कर दी जाती है तो न्यायपालिका शक्ति बाध्यता को लागू करके कार्यपालिका के करते को आवधिक अर्थात संवैधानिक घोषित कर देगी इस प्रकार न्यायपालिका कार्यपालिका को संतुलित करती है चेक एंड बैलेंस के यह सब तत्व प्रशासनिक नया निर्णय की प्रणाली में भी पाए जाते हैं जब विधायिका कानून बनाकर एडमिनिस्ट्रेटिव अधिकरणों को स्थापित करती है तो इस कानून में उनकी शक्तियों कार्यों व क्षेत्राधिकार का उल्लेख होता है अर्थात विधायक का उन सीमाओं को निर्धारित कर देती है जिनके अंतर्गत अधिकरण को कार्य करना होता है लेकिन यदि अधिकरण उसे सीमा का उल्लंघन कर दी जाए तो अगेंस्ट में अपील रिव्यू रिवीजन आदि के माध्यम से न्यायपालिका उसे संतुलित करती हैं उपरोक्त विवेचना से स्पष्ट है कि शक्ति का प्राधिकरण का सिद्धांत की आधुनिक अवधारणा प्रिंसिपल आफ एडमिनिस्ट्रेटिव लॉ के मध्य कोई द्वंद नहीं है।

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