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what is administrative law and growth of administrative law 

Posted on September 17, 2024September 17, 2024 By soni.vidya22@gmail.com No Comments on what is administrative law and growth of administrative law 

What is administrative law and growth of administrative law 

meaning of Administrative law growth of administrative law 

प्रशासनिक विधि का अर्थ,,,

प्रशासनिक विधि सार्वजनिक विधि की वह शाखा है का संबंध शासन के विभिन्न अंगों के संगठन कृत्यों अधिकारों ताथा दायित्व से है।

प्रशासनिक विधि का उद्देश्य का उद्देश्य,,

प्रशासन के अनुचित अवैध कार्यों पर नियंत्रण रखना है प।

जीनियस महोदय ने कहा है की प्रशासनिक विधि प्रशासन से संबंध रखने वाली विधि है प्राधिकारियों के संगठन शक्तियों और कर्तव्य को निश्चित करती है मत को इंग्लैंड के अनक विद्वानों ने स्वीकार भी किया ह

सरल शब्दों में,, प्रशासनिक विधि को प्रशासनिक प्राधिकारी की शक्तिका विज्ञान कहा जा सकता है प्रशासनिक प्राधिकारियों की शक्तियों का अध्ययन निम्न तीनशीर्षकों के अंतर्गत किया जा सकताहै पहला विधायिक दूसरा न्यायिक तीसरा कर्यकारिणी।। प्रशासनिक विधि प्रशासन के उपयुक्त अधिकारों केप्रयोग पर बल देती है।

प्रशासनिक विधि के क्षेत्र

  1. विभिन्न प्रशासनिक निकायों का अध्ययन जैसे केंद्रीय राजस्व बोर्ड सलाहकार बोर्ड जांच आयोग टैरिफ आयोग आदि
  2. प्रशासनिक अभिकरणों के न्यायिक कृतियों का अध्ययन जैसे औद्योगिक न्यायिक अधिकरण आयकर पुनर्विचार न्यायाधिकरण आदि
  3. प्रशासनिक अभिकरणों की विधि निर्माण करने की क्षमता जिसके अंतर्गत प्रत्यायोजित विधान आता है शक्तियों के दुरुपयोग की स्थिति में न्यायिक नियंत्रण के माध्यम से उपचार प्रदान किया जाना
  4. प्रशासनिक शक्तियों का दुरुपयोग पर उपचार रितु जैसे परमादेश उत्प्रेषण बंदी प्रत्यक्षीकरण आदि लेख जारी किए जाते हैं उनका अध्ययन करना
  5. प्रक्रिया संबंधी गारंटी अर्थात नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत का पालन किया जाना
  6. लोक निगम

7केंद्र तथा राज्य सरकार का अपने प्राधिकारियों द्वारा की गई अपकृत्य तथा संविदा संबंधित दायित्व का अध्ययन किया जाता है।

प्रशासनिक विधि के विकास के कारण और उसके महत्व।

20वीं साड़ी के प्रारंभ से ही राज्य की अवधारणाओं में परिवर्तन होना शुरू हो गया था राज्य के कृतियों में प्रशासनिक अधिकारियों के दायित्व में अभी पूर्व अभिवृद्धि का कारण बना परिणामता प्रशासनिक विधि धीरे-धीरे आधुनिक काल के विधि में विकास के रूप में उभर कर हमारे समक्ष आया है।

भारत के संदर्भ में इस विकास का स्पष्ट संकेत 1950 की संविधान के प्रवर्तित होने के बाद दृष्टिगोचर होने लगा आज प्रशासनिक विधि सार्वजनिक विधि की सबसे महत्वपूर्ण शाखा के रूप में विकसित हुई है इसके प्रमुख कारण

  1. औद्योगिकरण। आज के औद्योगिक युग में राज्य के तमाम सारे औद्योगिक कानून पारित करने होते हैं ऐसे में कानून के अंतर्गत विभिन्न प्रशासनिक अथॉरिटी की नियुक्ति की जाती है औद्योगीकरण के फलता तमाम सारे विवादों का जन्म होता है जिनका हल करने के लिए औद्योगिक ट्रिब्यूनल आदि स्थापित किए जाते हैं राज्य औद्योगिक क्रियाकलापों को नियमित करता है यह सभी कारक प्रशासनिक विधि के विकास के लिए उत्तरदाई होते हैं
  2. औद्योगिकरण तथा नगरीकरण। 20वीं शताब्दी के नगरों के वृहद औद्योगीकरण के परिणाम स्वरुप अधिक जनसंख्या में लोग शहरों में रहने लगे हैं जिसके कारण आवास बीमारी शिक्षा जन स्वास्थ्य जीवन की सुरक्षा आदि अनेक समस्या उत्पन्न हो गई जिसकी अभेलना करना संभव नहीं है इस प्रकार के सामाजिक कार्यों जैसे जन स्वास्थ्य शिक्षा बेरोजगारी वृद्धावस्था सहायता उत्पादन की आवश्यक वस्तुओं का पूर्ति करना नियम लागू करना दैनिक उपयोगिता की पूर्ति में वृद्धि हुई है लोक हित के लिए प्रशासन को इन बातों में हस्तक्षेप करना पड़ता है इसी कारण प्रशासन के पक्ष में अधिक मात्रा में विधायक तथा न्यायिक अधिकारों का भी प्रत्यायोजित करना पड़ा
  3. राज की कृतयों में कल्याणकारी राज्य की स्थापना का उद्देश्य

20वीं शताब्दी में राज्यों का कार्य केवल शांति व्यवस्था कायम रखना विधि को लागू करना राज्यों की सुरक्षा प्रदान करना विदेशी आक्रमण से देश की रक्षा करना ही नहीं रह गया है बल्कि राज्य ने उन समस्त कार्यों को अपने ऊपर ले लिया है जो समाज के प्रत्येक क्षेत्र के विकास से संबंध रखते हैं राज्यों के कार्यों में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है जिसके परिणाम स्वरुप प्रशासनिक अधिकारियों के हाथ में अनेक प्रकार की शक्तियों का केंद्रीकरण हो जाता है प्रशासनिक विधि प्रशासनिक अधिकारियों के हर प्रकार के बड़े हुए अधिकारों को नियंत्रण रखने के लिए उपचार प्रदान करती है इसीलिए इसका महत्व बढ़ता जा रहा है

4 लोक जीवन पर प्रशासनिक हस्तक्षेप

प्रशासनिक अधिकारियों को बड़ी शक्तियों के संबंध में प्रभावी नियंत्रण रखा जाए क्योंकि अत्यधिक शक्ति दिए जाने से प्रक्रिया में भ्रष्टाचार तथा शक्तियों का दुरुपयोग बढ़ जाता है जिससे व्यक्तियों के अधिकारों के अवहेलना विधि शासन तथा प्रजातंत्र को अर्थहीन बनाने में संभावनाएं बढ़ने लगती है

5+विभिन्न क्षेत्रों में सरल रीति से न्याय  को सुलभ प्रधान कराया जाना

वर्तमान समय में अनेक प्रशासनिक न्यायाधिकरण जैसे उद्योग श्रम आयकर मुआवजा आदि से संबंधित स्थापित किए गए हैं जिनका उद्देश्य तकनीकी प्रकृति के विवादों का संक्षिप्त ढंग से निर्णय करना है

6 विज्ञान और टेक्नोलॉजी का विकास तथा उससे उत्पन्न समस्याएं

जैसे नगरीकरण वातावरण प्रदूषण भारी यातायात व परिवहन विकास बेरोजगारी पर प्रभाव व उनकी समस्या समाज में आधुनिकीकरण ने नए तरह के सामाजिक आर्थिक अपराधों का भी केंद्रीकरण मिलावट तस्करी कर अपवंचन श्रमिकों की समस्या इन सारी समस्याओं के कारण नए कानून बनाने गए हैं जिसमें प्रशासन की शक्तियों शक्तियों को समस्याओं के समाधान हेतु बढ़ाया जाना स्वाभाविक था।

7 आर्थिक संसाधनों का विकेंद्रीकरण तथा आर्थिक और सामाजिक न्याय को सुनिश्चित करना

आर्थिक व्यवस्था का संचालन इस प्रकार किया जाए कि धन तथा उत्पादन के साधनों का सर्वसाधारण के अहित के लिए केंद्रित न हो समाज के दुर्बल वर्ग के व्यक्तियों की शिक्षा रोजगार तथा अर्थ संबंधी हितों की विशेष सावधानी से अभिवृद्धि करना तथा सामाजिक अन्य को रोकना समस्त प्रकार के शोषण से उनकी सुरक्षा करना राज्य का परम कर्तव्य होने लगा है

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