टॉर्ट्स में सहमति (Consent) और गलती (Mistake):
1. सहमति (Consent) in Torts:
सहमति (Consent) एक महत्वपूर्ण अवधारणा है, जो टॉर्ट्स के कई मामलों में लागू होती है। जब कोई व्यक्ति किसी कार्य में शामिल होने के लिए अपनी स्वीकृति देता है, तो वह उस कार्य के परिणामों के लिए जिम्मेदार होता है। यदि किसी व्यक्ति ने स्वेच्छा से किसी जोखिम या कार्य को स्वीकार किया है, तो उसे उस कार्य के परिणामस्वरूप उत्पन्न होने वाले नुकसान से बचाव नहीं मिल सकता है।
सहमति के तत्व:
- स्पष्ट सहमति (Explicit Consent): यदि किसी व्यक्ति ने खुले तौर पर अपनी सहमति दी है, जैसे कि किसी को एक स्पोर्ट्स गेम में खेलने के लिए अपनी अनुमति देना।
- निहित सहमति (Implied Consent): कभी-कभी सहमति मौन रूप में भी दी जाती है, जैसे जब कोई डॉक्टर चिकित्सा उपचार प्रदान करता है और मरीज चुपचाप इसका पालन करता है।
- अवैध सहमति (Invalid Consent): यदि किसी व्यक्ति ने दबाव, धोखाधड़ी या बल द्वारा सहमति दी हो, तो यह सहमति अवैध मानी जाती है।
महत्वपूर्ण केस:
- R v. Brown (1993): इस केस में, एक समूह के लोग अपनी स्वेच्छा से दर्दनाक शारीरिक क्रियाओं में भाग लेते थे, जैसे कि एस्मा (BDSM) और यह उनके लिए एक आपसी सहमति थी। कोर्ट ने यह निर्णय लिया कि सहमति किसी भी शारीरिक हानि के लिए वैध नहीं हो सकती है, जब तक कि वह समाज के सामान्य नियमों के खिलाफ न हो।
- Reibl v. Hughes (1980): यहां, एक व्यक्ति ने डॉक्टर से सर्जरी कराने के लिए सहमति दी, लेकिन उसे पूरी तरह से यह नहीं बताया गया कि सर्जरी के परिणामस्वरूप उसके जीवन में क्या बदलाव हो सकता है। कोर्ट ने यह तय किया कि यदि किसी व्यक्ति को पूरी जानकारी के बिना सहमति दी जाती है, तो यह अवैध मानी जा सकती है।
2. गलती (Mistake) in Torts:
गलती (Mistake) तब होती है जब कोई व्यक्ति किसी तथ्य या स्थिति के बारे में गलत धारणाओं या समझ के कारण कोई कार्य करता है। टॉर्ट्स में गलती की कई श्रेणियाँ हैं, जैसे कि वास्तविक गलती (Fact Mistake), कानूनी गलती (Legal Mistake), और विलिंग गलती (Mistake of Intention)। गलती की स्थिति में, आमतौर पर आरोपी का इरादा गलत नहीं होता, लेकिन फिर भी उसे जिम्मेदार ठहराया जा सकता है, यदि वह गलती किसी अन्य व्यक्ति को नुकसान पहुँचाती है।
गलती के प्रकार:
- वास्तविक गलती (Mistake of Fact): जब कोई व्यक्ति किसी स्थिति के बारे में गलत समझता है, जैसे कि किसी को चोरी करने का संदेह होना और गलतफहमी में किसी व्यक्ति पर हमला करना। ऐसी गलती टॉर्ट्स के मामलों में बचाव हो सकती है।
- कानूनी गलती (Mistake of Law): यह तब होती है जब कोई व्यक्ति कानून के बारे में गलत जानकारी रखता है। सामान्यतः, कानून यह मानता है कि सभी व्यक्तियों को कानून का ज्ञान होना चाहिए, और कानूनी गलती को बचाव के रूप में स्वीकार नहीं किया जाता है।
- विलिंग गलती (Mistake of Intention): कभी-कभी व्यक्ति की नीयत के बारे में गलती होती है, जैसे कि किसी को चोट पहुँचाने का इरादा न होने पर भी चोट पहुँच जाना। ऐसे मामलों में, कोर्ट यह देखता है कि क्या गलती जानबूझकर की गई थी या नहीं।
महत्वपूर्ण केस:
- Cundy v. Lindsay (1878): इस मामले में, एक व्यापारी ने गलत नाम का उपयोग करके एक व्यक्ति को सामान बेच दिया, जबकि व्यापारी को सही नाम के बारे में जानकारी नहीं थी। अदालत ने इसे वास्तविक गलती के रूप में माना और व्यापारिक धोखाधड़ी को अस्वीकार किया।
- R v. Cunningham (1957): इस केस में, एक व्यक्ति ने गलती से एक गैस मीटर को नुकसान पहुँचाया, जिससे गैस लीक हो गया और दूसरे व्यक्ति की जान चली गई। अदालत ने कहा कि यह गलती जानबूझकर नहीं की गई थी, इसलिए व्यक्ति को अपराध का दोषी नहीं ठहराया जा सकता था, लेकिन यह टॉर्ट (नुकसान) का मामला बन सकता था।
निष्कर्ष:
- सहमति (Consent): किसी कार्य में स्वेच्छा से भागीदारी करने का एक महत्वपूर्ण पक्ष है। अगर किसी व्यक्ति ने किसी कार्य के लिए सहमति दी है, तो वह उस कार्य के परिणामों के लिए जिम्मेदार हो सकता है। हालांकि, सहमति को अवैध या गलत रूप से प्राप्त करने पर वह कानूनी रूप से अमान्य हो सकती है।
- गलती (Mistake): किसी कार्य के संबंध में गलत समझ या जानकारी होने पर उसे टॉर्ट के रूप में बचाव के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है, विशेष रूप से जब गलती अनजाने में की जाती है। लेकिन कानूनी गलतियों को सामान्य रूप से टॉर्ट्स में बचाव के रूप में नहीं माना जाता।
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