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हिंदू विवाह का पंजीयन धारा 8- के तहत निर्धारित की गई है।

Posted on January 9, 2025 By soni.vidya22@gmail.com No Comments on हिंदू विवाह का पंजीयन धारा 8- के तहत निर्धारित की गई है।

हिंदू मैरिज एक्ट, 1955 के अनुसार, विवाह का पंजीकरण (रजिस्ट्रेशन) अनिवार्य है। यह अनिवार्यता “हिंदू मैरिज एक्ट की धारा 8” के तहत निर्धारित की गई है।

धारा 8 का विवरण:

विवाह का पंजीकरण: राज्य सरकारें विवाह के पंजीकरण के लिए नियम बना सकती हैं।

पंजीकरण के लिए विवाह करने वाले पति-पत्नी को संबंधित दस्तावेज और जानकारी देनी होगी।

यह पंजीकरण केवल प्रशासनिक उद्देश्य से होता है और इससे विवाह की वैधता प्रभावित नहीं होती।

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट और विभिन्न उच्च न्यायालयों ने समय-समय पर यह सुझाव दिया है कि विवाह का पंजीकरण न केवल कानूनन प्रक्रिया है, बल्कि यह कानूनी विवादों से बचने के लिए भी अनिवार्य है।

हिंदू विवाह और कावपंजीकरण (रजिस्ट्रेशन) से संबंधित केस भारतीय कानून के तहत विभिन्न प्रकार के मुद्दों को कवर करते हैं। ये केस आमतौर पर निम्नलिखित विषयों से संबंधित हो सकते हैं:

1. विवाह का पंजीकरण (Registration of Marriage):

हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 के तहत पंजीकरण आवश्यक है, लेकिन यह विवाह की वैधता को प्रभावित नहीं करता।

केस उदाहरण: अगर पति-पत्नी में से कोई एक विवाह का पंजीकरण करने से इनकार करता है, तो दूसरा पक्ष अदालत में आवेदन कर सकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने 2006 में कहा कि सभी विवाहों का पंजीकरण अनिवार्य है (Smt. Seema vs Ashwani Kumar)।

2. विवाह की वैधता (Validity of Marriage):

विवाह की वैधता हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 5 के तहत तय की जाती है।

विवाद तब उठ सकता है जब:

कोई विवाह पूर्व शर्तें पूरी नहीं करता हो, जैसे कि दोनों पक्षों की सहमति, उम्र, या कोई पूर्व विवाह।

केस उदाहरण: दूसरे विवाह के समय पूर्व विवाह का समाप्त न होना।

3. विवाह का प्रमाण (Proof of Marriage):

अगर विवाह प्रमाण पत्र नहीं है, तो शादी को साबित करने के लिए गवाहों और अन्य दस्तावेजों का उपयोग किया जा सकता है।

केस उदाहरण: परिवार या अन्य व्यक्ति से शादी का साक्ष्य।

4. पंजीकरण में धोखाधड़ी (Fraud in Registration):

विवाह पंजीकरण में धोखाधड़ी, झूठे दस्तावेज़, या गलत जानकारी देना।

केस उदाहरण: किसी की सहमति के बिना विवाह पंजीकरण कराना।

5. अदालत के आदेश (Court Orders):

यदि विवाह पंजीकरण कार्यालय किसी पक्ष की याचिका स्वीकार नहीं करता, तो पक्ष अदालत में न्याय के लिए जा सकता है।

केस उदाहरण: किसी राज्य के पंजीकरण नियमों के विरुद्ध कार्यवाही।

6. परिवार कानून विवाद (Family Law Disputes):

दहेज, तलाक, या भरण-पोषण से संबंधित विवाद।

विवाह पंजीकरण की आवश्यकता इन मामलों में कानूनी प्रक्रिया को सरल बनाती है।

महत्वपूर्ण न्यायिक दृष्टांत (Important Case Laws):

1. Seema vs Ashwani Kumar (2006): विवाह पंजीकरण अनिवार्य किया गया।

2. Laxmi Bai vs Ayodhya Prasad: विवाह की वैधता से संबंधित शर्तों पर।

3. Saroja Rani vs Sudarshan Kumar: विवाह प्रमाण और अधिकारों से संबंधित मुद्दे।

समाधान:

यदि कोई विवाद हो तो संबंधित राज्य के विवाह पंजीकरण कार्यालय में संपर्क करें।

किसी वकील से सलाह लें और आवश्यकता होने पर परिवार न्यायालय में आवेदन करें।

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