सविधि के निर्वचन (Interpretation of a statute or legal procedure) में आंतरिक सहायक और बाह्य सहायक के रूप में निम्नलिखित साधनों का उपयोग किया जाता है:
1. आंतरिक सहायक (Internal Aids):
- परिभाषाएं (Definitions): विधि के भीतर दी गई परिभाषाएँ महत्वपूर्ण होती हैं, जो शब्दों और वाक्यों का स्पष्ट अर्थ प्रदान करती हैं।
- शीर्षक (Title): विधि का शीर्षक भी निर्वचन में मदद करता है, क्योंकि यह विधि के उद्देश्य और सार को संक्षेप में प्रस्तुत करता है।
- दीर्घ शीर्षक (Preamble): दीर्घ शीर्षक, विधि का उद्देश्य और पृष्ठभूमि स्पष्ट करने में सहायक होता है।
- खंड/धारा शीर्षक (Section Headings): विधि के विभिन्न खंड या धाराओं के शीर्षक भी संदर्भ में अर्थ को स्पष्ट करने में सहायक हो सकते हैं।
- स्पष्टीकरण (Explanation): किसी धारा या खंड के अंतर्गत दिए गए स्पष्टीकरण, विधि की स्पष्टता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- पार्श्व टिप्पणी
- परन्तुक
- दृष्टांत इलस्ट्रेशन
- अपवाद
- व्यवृत्ति खंड
- स्पष्टीकरण
- अनुसूची
- विराम चिह्न
2. बाह्य सहायक (External Aids): जब संविधि से उत्पन्न अयुक्तियुक्तता। बेतुकापन। द्विअर्थी। आंतरिक सहायक से दूर ना हो तो ऐसे में बाहय सहायकों की मदद ली जाती है।
- विधानिक इतिहास (Legislative History): विधि का इतिहास, संसदीय बहस, प्रारंभिक मसौदे आदि का अध्ययन, विधि के वास्तविक उद्देश्य को समझने में मदद करता है।
- पूर्व निर्णय
- संविधान सभा में किया गया पहल
- समितिरिपोर्ट जांच की कार्यवाही पंचवर्षीय योजना कार्यवाही
- संबंधित विधि (Related Statutes): अन्य संबंधित विधियों का संदर्भ लेना भी विधि के अर्थ को समझने में सहायक होता है।
- न्यायिक निर्णय (Judicial Decisions): पूर्व न्यायिक निर्णयों का संदर्भ, विधि की व्याख्या में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- विदेशी कानून (Foreign Laws): विदेशी विधियों और उनके निर्वचन का अध्ययन, विशेषकर जब भारतीय विधि का कोई विशेष संदर्भ उपलब्ध नहीं होता, उपयोगी हो सकता है।
- कानूनी पुस्तकों और विद्वानों की राय (Legal Texts and Scholarly Opinions): विधि की किताबें और विशेषज्ञों की राय भी निर्वचन में सहायक होती हैं।
- ऐतिहासिक तथ्य
- पुरानीसविधि
- शब्दकोश सामान्य अर्थ
- लेखो के उदूधरण
- व्यापारिक तकनीकी
- अंतर्राष्ट्रीय अभीसमय। करार प्रसविदा । संधि
आंतरिक सहायक और बाह्य सहायक दोनों ही विधि के सही और उचित निर्वचन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इनकी सहायता से न्यायाधीश और विधिक विद्वान विधियों का सही अर्थ निकालते हैं और उनका अनुप्रयोग सुनिश्चित करते हैं।