मुस्लिम विवाह में “डिसोल्यूशन ऑफ मैरिज” विवाह का विघटन से है (Dissolution of Marriage) का मतलब विवाह का कानूनी रूप से अंत करना या विवाह को भंग करना होता है। यह उन स्थितियों में होता है, जब पति-पत्नी किसी कारण से साथ नहीं रह सकते और उनके बीच वैवाहिक संबंध समाप्त करना आवश्यक हो जाता है। मुस्लिम कानून के तहत, विवाह को समाप्त करने के लिए कई तरीके और प्रावधान मौजूद हैं, जिनमें मुख्य रूप से तलाक और फसख़ (निकाह को रद्द करना) शामिल हैं।
डिसोल्यूशन ऑफ मैरिज के प्रकार:
1. तलाक (Talaq):
यह पति द्वारा विवाह को समाप्त करने का अधिकार है। इसमें पति अपनी पत्नी को तीन बार “तलाक” कहकर विवाह को समाप्त कर सकता है।
तलाक के प्रकार:
तलाक-ए-अहसन: पति अपनी पत्नी को एक बार तलाक कहकर उसे इद्दत की अवधि पूरी करने देता है।
तलाक-ए-हसन: तीन अलग-अलग समय अंतराल पर तलाक दिया जाता है।
तलाक-ए-बिद्दत (Triple Talaq): यह एक बार में तीन तलाक देना है, जो अब भारत में असंवैधानिक है।
2. खुला (Khula):
यह पत्नी द्वारा तलाक का प्रस्ताव है। इसमें पत्नी कुछ वित्तीय मुआवजे के बदले पति से विवाह को भंग करने का अनुरोध करती है।
3. फसख (Faskh):
यह न्यायालय या काज़ी द्वारा विवाह को समाप्त करने की प्रक्रिया है। यह तब होता है, जब पति-पत्नी के बीच संबंध असहनीय हो जाएं, और पत्नी के पास तलाक का अधिकार न हो।
4. मुबारत (Mubarat):
इसमें पति और पत्नी दोनों आपसी सहमति से विवाह को समाप्त कर देते हैं।
5. डिसोल्यूशन ऑफ मुस्लिम मैरिज एक्ट, 1939:
यह कानून मुस्लिम महिलाओं को उनके अधिकारों की सुरक्षा के लिए बनाया गया है। इसके तहत महिला विभिन्न आधारों पर अदालत से तलाक की मांग कर सकती है, जैसे कि:
पति द्वारा परित्याग।
पति की अनुपस्थिति।
पति द्वारा क्रूरता।
पति का असमर्थ होना।
पति द्वारा विवाह संबंधी शर्तों का उल्लंघन।
डिसोल्यूशन के बाद प्रभाव:
विवाह के अंत के बाद, पत्नी को इद्दत की अवधि पूरी करनी होती है।
महिला को गुजारा भत्ता, मेहर, और अन्य कानूनी अधिकार मिल सकते हैं।
बच्चों की कस्टडी का फैसला भी अदालत के द्वारा किया जा सकता है।
यह प्रक्रिया हर मुस्लिम देश और समुदाय में अलग हो सकती है, लेकिन इसका उद्देश्य पति-पत्नी दोनों को उनके अधिकार और स्वतंत्रता प्रदान करना है।