मुस्लिम विधि (Muslim Law) में गिफ्ट (हिबा) को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। यह संपत्ति के हस्तांतरण का एक साधन है, जिसमें किसी व्यक्ति द्वारा स्वेच्छा से अपनी संपत्ति का स्वामित्व बिना किसी बदले में दूसरे व्यक्ति को दिया जाता है। इसे हिबा (Hiba) कहा जाता है।
MUSLIM LAW GIFT(Hiba ) के लिए कानूनी उपबंध:
मुस्लिम कानून के अंतर्गत, गिफ्ट को मान्यता प्राप्त है, लेकिन इसके लिए कुछ आवश्यक शर्तें और प्रक्रियाएं हैं।
1. HIBA के लिए आवश्यक तत्व (Essential Elements of Gift):
1. गिफ्ट देने वाले की क्षमता (Competency of Donor):
गिफ्ट देने वाला व्यक्ति बालिग (18 वर्ष से ऊपर) और स्वस्थ मानसिक स्थिति का होना चाहिए।
वह अपनी संपत्ति का स्वामी होना चाहिए।
2. स्वेच्छा और बिना दबाव (Free Consent):
गिफ्ट स्वेच्छा से दिया जाना चाहिए, न कि दबाव, धोखाधड़ी या जबरदस्ती के तहत।
3. स्वीकृति (Acceptance):
प्राप्तकर्ता को गिफ्ट को स्वीकार करना आवश्यक है। यह स्वीकार किसी भी रूप में (मौखिक या लिखित) हो सकता है।
यदि प्राप्तकर्ता नाबालिग है, तो उसके अभिभावक के माध्यम से गिफ्ट स्वीकार किया जा सकता है।
4. गिफ्ट का अधिकारांतरण (Delivery of Possession):
गिफ्ट तभी वैध माना जाएगा, जब संपत्ति का वास्तविक हस्तांतरण कर दिया जाए।
2. हिबा की प्रक्रिया (Procedure of Hiba):
संपत्ति देने वाले को अपनी मंशा जाहिर करनी होगी।
प्राप्तकर्ता इसे स्वीकार करेगा।
संपत्ति का स्वामित्व या कब्जा हस्तांतरित किया जाएगा।
3. गिफ्ट किस प्रकार की संपत्ति पर लागू होता है?
गिफ्ट केवल उस संपत्ति पर लागू होता है, जिसका स्वामित्व गिफ्ट देने वाले के पास हो।
यह चल और अचल, दोनों प्रकार की संपत्तियों पर लागू हो सकता है।
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गिफ्ट से जुड़े कानूनी उपबंध:
1. धर्मनिरपेक्ष कानून और मुस्लिम पर्सनल लॉ:
यदि कोई विवाद होता है, तो मुस्लिम पर्सनल लॉ के अनुसार हिबा को देखा जाएगा।
हालांकि, यदि गिफ्ट रजिस्ट्रेशन और अन्य कानूनी प्रक्रियाओं की आवश्यकता हो, तो भारतीय रजिस्ट्रेशन एक्ट, 1908 लागू होगा।
2. गिफ्ट का निरस्तीकरण (Revocation of Gift):
मुस्लिम कानून में, एक बार गिफ्ट देने के बाद उसे वापस लेना कठिन होता है।
हालांकि, कुछ परिस्थितियों में (जैसे धोखाधड़ी, दबाव, या प्राप्तकर्ता की मृत्यु), गिफ्ट रद्द किया जा सकता है।
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गिफ्ट से संबंधित प्रमुख केस लॉ (Case Laws):
1. इलाही बख्श बनाम जमालुन्निसा (1904):
इस मामले में कोर्ट ने कहा कि हिबा तभी वैध होगा जब गिफ्ट का वास्तविक कब्जा प्राप्तकर्ता को हस्तांतरित किया जाए।
2. ग़ुलाम अब्बास बनाम रज़िया बेगम (1951):
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि गिफ्ट को वैध बनाने के लिए स्वीकृति और हस्तांतरण अनिवार्य है।
3. मुसम्मत अयशा बनाम मुसम्मत सरफरोश (1912):
इस मामले में कोर्ट ने कहा कि गिफ्ट को धार्मिक कार्यों के लिए या किसी रिश्तेदार को देने में प्राथमिकता दी जा सकती है।
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विशेष बातें:
वसीयत और गिफ्ट में अंतर: वसीयत (Will) मृत्यु के बाद प्रभावी होती है, जबकि हिबा तुरंत प्रभावी होती है।
महिला और पुरुष के अधिकार: मुस्लिम महिलाओं को भी अपनी संपत्ति का हिबा करने का पूरा अधिकार है।
यदि आपको किसी विशेष मुद्दे या केस के बारे में विस्तृत जानकारी चाहिए, तो कृपया बताएं।