मुस्लिम विधि में वसीयत (Will) और हिबा (Gift) के बीच कई महत्वपूर्ण अंतर हैं। ये दोनों अलग-अलग कानूनी अवधारणाएँ हैं। नीचे इनके बीच प्रमुख अंतर दिए गए हैं:
1. परिभाषा:
वसीयत (Will): यह मृत्युपरांत संपत्ति का हस्तांतरण है। वसीयत के माध्यम से व्यक्ति अपनी संपत्ति का अधिकार किसी और को अपनी मृत्यु के बाद देने की व्यवस्था करता है।
हिबा (Gift): यह जीवित रहते हुए संपत्ति का स्वैच्छिक हस्तांतरण है। इसमें एक व्यक्ति अपनी संपत्ति का स्वामित्व किसी और को देता है।
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2. समय:
वसीयत: वसीयत का प्रभाव केवल वसीयतकर्ता की मृत्यु के बाद होता है।
हिबा: हिबा का प्रभाव तुरंत होता है, जब यह विधि के अनुसार संपन्न हो जाता है।
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3. स्वीकृति:
वसीयत: वसीयत के लिए लाभार्थी की स्वीकृति तुरंत आवश्यक नहीं होती है। इसे मृत्यु के बाद स्वीकार किया जा सकता है।
हिबा: हिबा के लिए लाभार्थी की स्वीकृति और संपत्ति का भौतिक या प्रतीकात्मक हस्तांतरण अनिवार्य होता है।
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4. सीमा:
वसीयत: मुस्लिम कानून के अनुसार, व्यक्ति अपनी संपत्ति का केवल 1/3 हिस्सा वसीयत के माध्यम से दे सकता है। यदि इससे अधिक दिया जाए, तो सभी वारिसों की सहमति आवश्यक होती है।
हिबा: हिबा में ऐसी कोई सीमा नहीं है। व्यक्ति अपनी पूरी संपत्ति भी हिबा कर सकता है।
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5. गवाह:
वसीयत: वसीयत के लिए कम से कम दो गवाह आवश्यक होते हैं।
हिबा: हिबा के लिए गवाह आवश्यक नहीं हैं, लेकिन इसे प्रमाणित करने के लिए गवाह उपयोगी हो सकते हैं।
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6. वापसी (Revocation):
वसीयत: वसीयत को वसीयतकर्ता अपनी मृत्यु से पहले किसी भी समय रद्द कर सकता है।
हिबा: एक बार हिबा पूरी हो जाने पर इसे सामान्यतः वापस नहीं लिया जा सकता है, सिवाय कुछ विशेष परिस्थितियों के।
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7. प्रकृति:
वसीयत: यह एक इच्छापत्र है, जो भविष्य में लागू होता है।
हिबा: यह एक तत्काल कानूनी कार्रवाई है।
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संक्षेप में:
इस प्रकार, मुस्लिम विधि में वसीयत और हिबा का उद्देश्य और कानूनी प्रक्रिया दोनों भिन्न हैं।