भारतीय हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 (Hindu Marriage Act, 1955) के धारा 10 (Section 10) का संबंध न्यायिक पृथक्करण (Judicial Separation) से है।
धारा 10 के प्रावधान:
धारा 10 के तहत, पति या पत्नी, न्यायालय से यह प्रार्थना कर सकते हैं कि वे न्यायिक पृथक्करण (Judicial Separation) का आदेश दें। यह आदेश तब दिया जाता है जब निम्नलिखित आधारों में से कोई एक साबित हो:
आधार (Grounds)
1. धारा 13 के अंतर्गत तलाक के आधार (Section 13 Grounds for Divorce):
व्यभिचार (Adultery)
क्रूरता (Cruelty)
त्याग (Desertion)
धर्म परिवर्तन (Conversion of religion)
मानसिक विकार (Mental Disorder)
संक्रामक रोग (Leprosy or Venereal Disease)
जीवित जीवनसाथी के रहते दूसरा विवाह (Bigamy)
पति/पत्नी का सात साल से गायब होना (Presumption of death)
न्यायिक पृथक्करण का प्रभाव:
1. न्यायिक पृथक्करण का आदेश मिलने के बाद पति-पत्नी के साथ रहने की कानूनी बाध्यता समाप्त हो जाती है।
2. यह तलाक नहीं है, और दोनों के वैवाहिक संबंध समाप्त नहीं होते।
3. यदि पति-पत्नी में सुलह हो जाती है, तो वे पुनः साथ रह सकते हैं।
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महत्वपूर्ण न्यायिक निर्णय (Case Laws):
1. Savitri Pandey v. Prem Chandra Pandey (2002):
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने न्यायिक पृथक्करण और तलाक में अंतर को स्पष्ट किया। न्यायालय ने कहा कि न्यायिक पृथक्करण पति-पत्नी को सोचने और समझने का अवसर प्रदान करता है ताकि सुलह की संभावना बनी रहे।
2. Narendra v. K. Meena (2016):
इस केस में पति ने न्यायिक पृथक्करण के लिए याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब पत्नी पति के साथ रहने से इनकार करती है और क्रूरता का प्रदर्शन करती है, तो यह न्यायिक पृथक्करण का आधार बन सकता है।
3. Hirachand Srinivas Managaonkar v. Sunanda (2001):
कोर्ट ने यह माना कि यदि किसी भी पक्ष द्वारा विवाह का उद्देश्य समाप्त हो गया है, तो न्यायिक पृथक्करण उचित हो सकता है।
4. Bipin Chander v. Prabhawati (1956):
इस मामले में “त्याग” (Desertion) के आधार पर न्यायिक पृथक्करण पर विचार किया गया। कोर्ट ने कहा कि त्याग का आधार तभी मान्य होगा जब यह स्वेच्छा से और बिना उचित कारण के हो।
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निष्कर्ष:
धारा 10 का उद्देश्य पति-पत्नी को तुरंत तलाक लेने के बजाय सुलह का अवसर प्रदान करना है। यह वैवाहिक संबंधों को सुधारने और बनाए रखने के लिए एक मध्यवर्ती उपाय के रूप में कार्य करता है।